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Böcker av Akhil Lodha

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  • av Akhil Lodha
    170,-

    """अक्स" मतलब प्रतिबिम्ब यह क़िताब सही मायने में मेरी परछाई है वैसे मेरे लिखे हुई कविता समाचार पत्रों, पत्रिकओं इत्यादि में प्रकाशित हुई है पर उन कविताओं को पुस्तक द्वारा लोगों के सामने लाना एक तरह से सपना ही था जो पूरा हो रहा है हर किसी को सपने देखने चाहिए और जरूर देखने चाहिए क्योंकि अगर आपका प्रयास और मेहनत में सच्ची कोशिश है तो वो सपने पुरे होते है इस क़िताब में बहुत सी कविताएँ है और हर कविता दुसरे से भिन्न है इसमें सामजिक, राजनितिक, धार्मिक, कॉर्पोरेट सभी विषयों को अलग अलग तरह से छूने की कोशिश की है मैंने अधिकतर कविताएँ बहुत ही सरल और बोलने वाली भाषा में लिखी है किताब में हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं का प्रयोग किया है मुझे यह तो पता नहीं है की मेरी लिखी हुई कविताएँ उम्दा है की नहीं पर हर कविता को मैंने एक दुसरे से भिन्न लिखने की कोशिश की है जहाँ """"खुशियों की लाश """" में मैंने बुजुर्गों की हताशा और अकेलापन प्रस्तुत करने का प्रयास किया है वही """"लौट के आओ """" में आधुनिक भारत में जहाँ गाँव से शहर की और लोगों का पलायन हो रहा है इसी तरह दंगो पर,धर्म पर, प्यार, बेवफाई जैसे अनेक पहलू को छूने की कोशिश की है वैसे तो सारी की सारी कविताएं मेरी पसंदीदा पर """"वो बचपन बहुत प्यारा था"""" मेरे दिल के बहुत करीब है कविता में मैंने कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करने वाले सारे लोगों का दर्द बताने की कोशिश की है इसमें मैंने बहुत सारे अंग्रेजी शब्दों का भरपूर उपयोग किया है जिससे यह बहुत ही आधुनिक बन गयी है इस कविता पर मैंने कुछ दिनों पहले इंस्टाग्राम पर रील बनायीं थी जो काफी लोकप्रिय रही और काफी लोगों ने इसे भरपूर प्यार दिया यह कहिये की लोगों ने काफी लाईक और शेयर किया वैसे डिजिटल युग में किताबों का चलन कम होता चला है पर मैं मानता हूँ की अच्छा साहि

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