Marknadens största urval
Snabb leverans

Böcker av Piyush Ranjan

Filter
Filter
Sortera efterSortera Populära
  • av Piyush Ranjan
    410,-

    जो कभी सुर्खरू थे, उन्हें दीवारों पर टँगते देखा है; वक्]त कैसा भी हो, हर वक्]त को बदलते देखा है। खत्म होता है, दर्द बस फिर एक पल में आँखें गीली हों तो मुस्कुराकर देखिए। इन्सान इन्सान को इन्सान तो समझे, इन्सान, इन्सान से बस यही तो चाहता है। खत्म ही होनी है एक दिन सबकी कहानी, किरदार ऐसा जीना कि याद आते रहना। हर रंग से रँगी है जिंदगानी आपकी, मजा छाँव संग, धूप का भी लिया कीजिए याद करने की कोई वजह न मिले और तुम्हें हों मुझसे हजार गिले, तो बेशक यों ही बेवजह तुम मुझे याद कर लेना। ये आँखें दो बूँदों को छुपाकर, घड़ी-घड़ी डबडबातीं किसलिए? अपने होंठों से इन्हें पी लो, अब ये दर्द रहे बाकी किसलिए? तेरे दर्द का एहसास भी प्यारा लगता है, तू मेरा नहीं है, फिर भी तू मेरा लगता है। ये हवा, ये रोशनी, जीने के सब बहाने, सभी हैं साथ मगर, आपकी कमी सी है।

Gör som tusentals andra bokälskare

Prenumerera på vårt nyhetsbrev för att få fantastiska erbjudanden och inspiration för din nästa läsning.