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  • av Rakesh Shankar Bharti
    260,-

  • av Ramesh Neelotpal
    246,-

  • av Subhash Neerav
    200,-

  • av Vikesh Nijhawan
    260,-

  • av Ushakiran Khan
    246,-

  • av Tejendra Sharma
    260,-

  • av Abha Kala
    200,-

  • av Abha Kala
    246,-

  • av Vikram Singh
    200,-

  • av Harbhajan Singh Mehrotra
    246,-

  • av Ramesh Kapur
    260,-

  • av Ashok Chakradhar
    276 - 400,-

  • av NEELIMA & DR. SINGH
    246 - 440,-

  • av Alok Mishra
    200 - 410,-

  • av Sandeep Murarka
    440,-

  • av Mahesh Darpan
    546,-

    दृश्य-अदृश्य चरित्र आपके सामने हो और आप उसे समझ न सकें। इतना अनप्रिडिक्टेबल हो वह कि पल पल धोखा देने लगे। जीवन में समय के साथ अपनी ही तरह चलना चाहा था कथानायक विचंश ने। शायद उनका मन था कि समय की शक्लोसूरत भी संवारते चलें और एक नए इतिहास की निर्मिति भी कर सकें। जिस सीमित परिवेश से निकलकर वह एक बड़ी दुनिया के नागरिक बने थे, क्या वह उन्हें समझ भी सकी ? कैसे बनाई एक नई दुनिया इस कथा के नायक ने जहां लोभ, मोह, स्वार्थ, हानि-लाभ का कोई गणित दूर-दूर तक नजर ही नहीं आता था। ऐसा क्या था उनमें कि जो एक बार उनसे मिल लेता, उन्हीं का होकर रह जाता। पर उनकी दुनिया में शामिल होने की उनकी कुछ शर्तें भी थीं। मिलने वाला निष्कुंठ हो, महज अपने समय में जीने-मरने वाला न हो, वह अपने वृहत्तर समाज के अतीत को तो जाने ही, उसे उसका भविष्य संवारने की संजीदा फिक्र भी रखता हो। वह ऊपर से एकाकी नजर आते हों भले, पर उनका संसार कितना भरा-पूरा था कि उसकी एक एक चीज वह आंख बंद कर के भी बाकायदा महसूस कर सकते थे। उन्होंने पूरी दुनिया घूमते हुए अपने मिजाज के लोगों को पहचाना ही नहीं, हमेशा के लिए अपना भी बना लिया।उनकी यायावरी की मासूमियत ही तो थी जिसने भाषा, समाज, देश, धर्म और संस्कारों की तमाम सरहदों को ध्वस्त कर अपनी एक नवीन दुनिया बनाई थी। जो बचपन से ही अपनी बात बड़े साफ और निर्भीक ढंग से कहने में यकीन रखते थे और जन्माष्टमी की झांकी पर सबसे हटकर भारत माता का रोल करने लगते थे। तब बनारस ही सब कुछ था विचंश के लिए, जो अंत तक उनके साथ भीतर ही भीतर सफर करता रहा। यूं तो जिंदगी हर कदम पर उन्हें कोई न कोई सबक सिखाती ही रही, पर सबसे बड़ा सबक वह खुद बन गए दूसरों के लिए। उन्होंने आजादी से बहुत-सी उम्मीदें लगाई थीं, बहुत-से जेनुइन समाज सुधारकों, रचनाकारों, बद्धिजीवियों, कलाकारों और नेताओं का साथ पा

  • av Jainandan
    456,-

  • av Vinod Kumarbashar Tripathi
    440,-

  • av Nivedita
    440,-

  • av Uma Jhunjhunwala
    186 - 410,-

  • av Animesh Verma
    246 - 440,-

  • av Rajgopal Verma Singh
    240 - 456,-

  • av Mahesh Darpan
    400 - 616,-

  • av Prasana Pathsani
    186 - 370,-

  • av Gayatribala Panda
    386 - 440,-

  • av Advikaa Kapil
    370,-

  • av MD Singh
    410,-

  • av Amitabh Budholia
    410,-

  • - 3
    av Sandeep Murarka
    246,-

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