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  • av Garg Pratibha Garg
    200,-

  • av Pillai G Eshwarmurthy Pillai G
    200,-

  • av Sahay Dinesh Sahay
    170,-

  • av HARIHARAN B HARIHARAN
    286,-

  • av Oshin
    340,-

  • - Imperishable Bhagavad Gita
    av Haribakth
    650,-

  • av Shubham Jain Shubham
    300,-

  • - Be aware! Connect with care!
    av MISHRA BIJENDER MISHRA
    260,-

  • av Ranjan Anurag Ranjan
    170,-

  • - METHODS AND PROSPECTS
    av Ishan Saini Ishan
    336,-

  • av Bhagat Rohit Bhagat
    256,-

  • av Dr. Dwivedi Shubha Dr. Dwivedi
    256,-

  • av Haider Zeeshan Haider
    200,-

  • - Specialist Officers - Marketing Scale I (Preliminary & Mains)- 15 Practice Sets
    av Gkp
    400,-

  • - Specialist Officers - IT Officer Scale I (Preliminary & Mains) - Guide
    av Gkp
    850,-

  • - Junior Engineer Paper I - Electrical Engineering - Topic-Wise Solved Papers 2008-2018
    av Gkp
    540,-

  • - Junior Engineer - Mechanical Engineering Paper II - Conventional Solved Papers (2007-2017)
    av Gkp
    290,-

  • - Previous Years' Topic-Wise Solved Papers : Paper I 2003-18 (Include Paper II : Solved Paper 2012-18)
    av Access
    426,-

  • - Only Judiciary can Save
    av K.C.Agrawal
    426,-

  • - Kamsutra Se Prerit
    av Mishra Avinash Mishra
    410,-

  • av Sobti Krishna Sobti
    540,-

  • av Joshi Sharad Joshi
    480,-

    शरद जोशी जिस समय लिख रहे थे, भारतीय राजनीति समाजवाद की आदर्श ऊँचाइयों और व्यावहारिक राजनीति की स्वार्थी आत्म-प्रेरणाओं के बीच कोई ऐसा रास्ता तलाशने में लगी थी जिससे वह जनता की हितैषी दिखती हुई व्यवस्था और तंत्र को अपने दलगत और व्यक्तिगत हितों के लिए बिना किसी कटघरे में आए इस्तेमाल करती रह सके। लम्बे संघर्ष के बाद प्राप्त आजादी बहैसियत एक नैतिक प्रेरणा अपनी चमक खोने लगी थी। शासन, प्रशासन और नौकरशाही लोभ और लाभ की अपनी फौरी और निजी जरूरतों के सामने वृहत्तर समाज और देश की अवहेलना करने का साहस जुटाने लगी थी। सड़कें उधड़ने लगी थीं, और लोगों के घरों के सामने महँगी कारों को खड़ा करने के लिए गलियाँ घेरी जाने लगी थीं।शरद जोशी ने भारतीय व्यक्ति के मूल सामाजिक चरित्र के विराट को परे सरकाकर आधुनिक व्यावहारिकता के बहाने अपनी निम्नतर कुंठाओं को पालने-पोसने वाले भारतीय व्यक्ति के उद्भव की आहत काफी पहले सुन ली थी। उन्होंने देख लिया था जीप पर सवार होकर खेतों में जो नई इल्लियाँ पहुँचनेवाली हैं वे सिर्फ फसलों को नहीं समूची राष्ट्र-भूमि को खोखला करनेवाली हैं।आज जब हम राजनीतिक और सामाजिक नैतिकता की अपनी बंजर भूमि को विकास नाम के एक खोखले बाँस पर टाँगे एक भूमंडलीकृत संसार के बीचोबीच खड़े हैं, हमें इस पुस्तक में अंकित उन चेतावनियों को एक बार फिर से सुनना चाहिए जो शरद जोशी ने अपनी व्यंग्योक्तियों में व्यक्त की थीं।

  • av Smt. 'Deshbhakt' Poonam Gupta Smt. 'Deshbhakt'
    410,-

  • av Wajahat Asghar Wajahat
    410,-

  • av Pattanaik Devdutt Pattanaik
    246,-

  • av SATYANARAYANA PVV SATYANARAYANA
    2 006,-

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