Om मेरी अर्धांगिनी
बनारस में दुनिया भर से लोग आते हैं, गंगा में अपने पाप धो कर ज़िन्दगी की आखरी साँस लेने के लिए पर मुझे ज़िन्दगी ने हाथ पकड़ कर पहले दिखाई ये पुण्य नगरी "वाराणसी" और उसके बाद मुझे ले गयी "पाप नगरी" लॉस वेगस बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में अपनी इंजीनियरिंग की पढाई करने के दौरान मैं गंगा रुपी प्रेम में नहाया तो कई बार परन्तु उसकी पवित्रता का एहसास मुझे अपने पोस्ट ग्रेजुऐशन में वेगस की एक "पूल" पार्टी के दौरान हुआ मैंने, आकर्षण से शुरू होकर आत्मज्ञान तक जाने वाले जीवन के इस सफ़र में "सच्चे प्रेम" को खोजने का प्रयत्न किया है इस पुस्तक में प्रत्येक कविता प्रेम के उस हर पडाव को दर्शाती है जिससे एक प्रेमी हो कर गुज़रता है इसी रोमांचकारी सफ़र का वर्णन इस पुस्तक में लिखी कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है It is a known fact that people come to take their last breath in Varanasi, the "holy city" in India after washing all their sins in river Ganges. But In my case, life has taken me first to the holy City of Varanasi" and then to the sin city of Las Vegas. While doing my undergrad in IT-BHU, I bathed in the eternal love like Ganges but by the time I realized its holiness and purity, I was already enjoying the 'Pool Parties' of Vegas during my graduation. I have discovered the spiritual meaning of true love while traveling from the very first station of infatuation to all the the way down to the last station of "Self Realization". Each poem of this collection takes us to the every stage that is experienced by a lover. This book is complete snapshot of my journey.
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