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अजमेर का वृहत् इतिहास

Om अजमेर का वृहत् इतिहास

भारत के इतिहास में अजमेर के महत्व को इस कहावत से समझा जा सकता है- 'वन हू रूल्स अजमेर, रूल्स इण्डिया।' इसका मुख्य कारण अजमेर की भौगोलिक एवं जलवायुवीय परिस्थितियाँ हैं। अजमेर उत्तर भारत के लगभग मध्य में है। इसलिए अजमेर के चौहान हिमालय की तराई से लेकर नर्बदा तक अपना प्रभाव बनाए रहे। मुहम्मद गौरी ने अजमेर के राजनीतिक महत्त्व को भलीभांति समझ लिया था। इसलिए दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों ने अजमेर पर अपना नियंत्रण कड़ाई से बनाये रखा। मारवाड़ के राठौड़ों ने तब तक दिल्ली की राजनीति में पकड़ बनाये रखी, जब तक अजमेर उनके अधीन रहा। मेवाड़ के राणाओं और आम्बेर के कच्छवाहों ने अजमेर प्राप्त करने के बहुत प्रयास किए। शेरशाह सूरी ने सर्वस्व दांव पर लगाकर अजमेर अपने अधीन किया। अकबर से लेकर फर्रूखसीयर तक, मुगलों ने तब तक दिल्ली और आगरा पर शासन किया जब तक अजमेर उनके अधीन रहा। जब मराठों ने राजपूताना पर अधिकार किया, तब उन्होंने अजमेर को प्रांतीय राजधानी बनाया। जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी राजपूताने में घुसी तो उसने भी अजमेर को अपनी प्रांतीय राजधानी बनाया। इस पुस्तक में पढ़िए अजमेर का रोचक एवं वास्तविक इतिहास।तिहास।

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788195641819
  • Format:
  • Häftad
  • Sidor:
  • 426
  • Utgiven:
  • 15. mars 2022
  • Mått:
  • 152x22x229 mm.
  • Vikt:
  • 567 g.
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Leveranstid: 2-4 veckor
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Beskrivning av अजमेर का वृहत् इतिहास

भारत के इतिहास में अजमेर के महत्व को इस कहावत से समझा जा सकता है- 'वन हू रूल्स अजमेर, रूल्स इण्डिया।' इसका मुख्य कारण अजमेर की भौगोलिक एवं जलवायुवीय परिस्थितियाँ हैं। अजमेर उत्तर भारत के लगभग मध्य में है। इसलिए अजमेर के चौहान हिमालय की तराई से लेकर नर्बदा तक अपना प्रभाव बनाए रहे। मुहम्मद गौरी ने अजमेर के राजनीतिक महत्त्व को भलीभांति समझ लिया था। इसलिए दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों ने अजमेर पर अपना नियंत्रण कड़ाई से बनाये रखा। मारवाड़ के राठौड़ों ने तब तक दिल्ली की राजनीति में पकड़ बनाये रखी, जब तक अजमेर उनके अधीन रहा। मेवाड़ के राणाओं और आम्बेर के कच्छवाहों ने अजमेर प्राप्त करने के बहुत प्रयास किए। शेरशाह सूरी ने सर्वस्व दांव पर लगाकर अजमेर अपने अधीन किया। अकबर से लेकर फर्रूखसीयर तक, मुगलों ने तब तक दिल्ली और आगरा पर शासन किया जब तक अजमेर उनके अधीन रहा। जब मराठों ने राजपूताना पर अधिकार किया, तब उन्होंने अजमेर को प्रांतीय राजधानी बनाया। जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी राजपूताने में घुसी तो उसने भी अजमेर को अपनी प्रांतीय राजधानी बनाया। इस पुस्तक में पढ़िए अजमेर का रोचक एवं वास्तविक इतिहास।तिहास।

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