Om कुछ लिखते लिखते (Kuch Likhtey Likhtey)
""कुछ लिखते लिखते"" भावनाओं, अनुभवों, और ज़िंदगी के फलसफो की आवाज है जो स्याही में मुखर हो उठी है। आपके अपने दर्पण को शब्द की शक्ल में देखने का तरीका है। दिल के पास सहेज कर रखे खयालों की संदूक है। अनुभव जो शब्दों में ढल जाएं तो जीवन निधि बन जाते हैं। आत्मा को सुख देकर और बंधन रहित करके, उन सुख और दुख के क्षणों को इस पूरी सृष्टि के चरणों समर्पित कर देते हैं। जीवन में मौसम कुछ ऐसे भी होते है, जो हृदय और आत्मा में गहरे से बस जाते है और अगर इनको मुक्त ना किया जाए तो जनमानुबनधन और कर्मानुबंधन बनकर कहाँ तक पीछा करें, कुछ कहना मुश्किल है।
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