Om Prayojanmoolak Hindi Vyakaran
यह पुस्तक हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण है। भाषा प्रयोग की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई वाक्य होते हैं। किसी भाषा पर अधिकार के लिए उस भाषा के विविध प्रकार के वाक्यों के गठन के आधारभूत अंतर्निहित नियमों को सम्यक् रूप में समझना आवश्यक है। इस पुस्तक में हिंदी में प्रचलित सभी प्रकार के वाक्यों के गठन के आधारभूत नियमों का विभिन्न प्रकार से विवेचन-विश्लेषण कर उन्हें अधिकाधिक बोधगम्य बनाने का प्रयास किया गया है। साथ ही प्रत्येक वाक्य साँचों पर आधारित प्रचुर उदाहरण वाक्य दिए गए हैं, ताकि प्रशिक्षार्थी उन वाक्यों को बार-बार पढें, बोलें, समझें, लिखें एवं उन्हें अपने भाषा-संस्कार का अंग बना लेने का प्रयास करें। समस्त सामग्री हिंदी-अंग्रेजी दोनों में दी गई है, इसलिए यह पुस्तक निश्चित रूप से प्रशिक्षार्थियों में हिंदी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा की वाक्य संरचनाओं की तुलनात्मक समझ विकसित करने में भी सहायक होगी। इस पुस्तक का उद्देश्य हिंदी के सभी वाक्य साँचों पर आधारित अधिक-से-अधिक वाक्यों का अभ्यास कराना है। इसलिए इस पुस्तक में भाषा ज्ञान या व्याकरण के अन्य आधारभूत पहलू, यथा-वर्णमाला, ध्वनि, उच्चारण, अक्षर, संयुक्ताक्षर, बलाघात, संगम, अनुतान, शब्द-भेद, लिंग, वचन, उपसर्ग, प्रत्यय, संधि, समास, संयुक्त क्रिया, संज्ञार्थक क्रिया, कृदंत आदि सम्मिलित नहीं किए गए हैं। उनके लिए लेखक की 'अद्यतन हिंदी व्याकरण' नामक दूसरी पुस्तक देखी जा सकती है।
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