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बस यूँ हीं !

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Om बस यूँ हीं !

वर्तमान तुष्टिकारी माहौल में यह पुस्तक एक आम आस्थावान भारतीय की व्यथा का दर्पण है और पाश्चात्य सभ्यता के अनुयायियों द्वारा सनातन के प्रतिमानों पर किये जा रहे अनवरत प्रहार के एवज़ में एक प्रत्युत्तर है। आज कल के सम्भ्रान्त, शिक्षित और प्रगतिशील युवा को अपनी भारतीय संस्कृति में सिर्फ़ खामियाँ दिखती हैं चाहे वह परम्परा हो,जाति सह आजीविका हो, पहनावा हो या चिकित्सा पद्धति। यह प्रयास उन कच्ची निगाहों के लिये उहापोह का कुहरा खत्म करेगा ये आशा है। आपके विचारों, आलोचनाओं, प्रशंसा या विरोध के स्वरों का स्वागत है इसके लिये Email - anjankumarthakur@yahoo.co.in पर आप अपनी उपस्थिति दर्ज़ कर सकते हैं।

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  • Språk:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789354386091
  • Format:
  • Häftad
  • Sidor:
  • 78
  • Utgiven:
  • 6. april 2021
  • Mått:
  • 127x5x203 mm.
  • Vikt:
  • 95 g.
Leveranstid: 2-4 veckor
Förväntad leverans: 6. december 2024

Beskrivning av बस यूँ हीं !

वर्तमान तुष्टिकारी माहौल में यह पुस्तक एक आम आस्थावान भारतीय की व्यथा का दर्पण है और पाश्चात्य सभ्यता के अनुयायियों द्वारा सनातन के प्रतिमानों पर किये जा रहे अनवरत प्रहार के एवज़ में एक प्रत्युत्तर है। आज कल के सम्भ्रान्त, शिक्षित और प्रगतिशील युवा को अपनी भारतीय संस्कृति में सिर्फ़ खामियाँ दिखती हैं चाहे वह परम्परा हो,जाति सह आजीविका हो, पहनावा हो या चिकित्सा पद्धति। यह प्रयास उन कच्ची निगाहों के लिये उहापोह का कुहरा खत्म करेगा ये आशा है। आपके विचारों, आलोचनाओं, प्रशंसा या विरोध के स्वरों का स्वागत है इसके लिये Email - anjankumarthakur@yahoo.co.in पर आप अपनी उपस्थिति दर्ज़ कर सकते हैं।

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